गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत समय होता है 💖
लेकिन इस समय ब्लड शुगर (High Sugar) और ब्लड प्रेशर (High BP) अगर बढ़ जाए तो यह सिर्फ माँ के लिए ही नहीं, बल्कि बेबी के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान हाई शुगर और हाई बीपी दोनों ही दिल की बीमारी (heart disease) का खतरा बढ़ा सकते हैं।
👉 यह एक साफ़, सफेद और खिंचने वाला (stretchy) तरल पदार्थ होता है,
जो बिल्कुल कच्चे अंडे के सफेद भाग (egg white) जैसा दिखता है।
🔹 Medical term में इसे कहते हैं Cervical Mucus
🔹 यह गर्भाशय (uterus) और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) द्वारा बनाया जाता है।
इसका काम है —
🔹 High Sugar (Gestational Diabetes):
जब गर्भावस्था के दौरान शरीर में इंसुलिन सही से काम नहीं करता, तो ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
इसे गेस्टेशनल डायबिटीज़ कहा जाता है।
🔹 High BP (Gestational Hypertension):
जब प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर 140/90 mmHg या उससे ज्यादा हो जाए, तो इसे गेस्टेशनल हाइपरटेंशन कहा जाता है।
दोनों ही स्थितियाँ दिल पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं ❤️
हाई बीपी के कारण दिल को ब्लड पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
इससे दिल की मांसपेशियाँ कमजोर हो सकती हैं और हार्ट फेलियर का रिस्क बढ़ता है।
जब शुगर लेवल ज़्यादा रहता है, तो यह ब्लड वेसल्स की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है।
इससे दिल तक ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है, और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
हाई शुगर और बीपी के कारण शरीर में वॉटर रिटेंशन बढ़ता है।
इससे वजन बढ़ना, सूजन, और थकान जैसी समस्याएँ भी दिल पर असर डालती हैं।
अगर बीपी और शुगर दोनों बढ़ जाएँ, तो प्रीक्लेम्पसिया जैसी गंभीर स्थिति हो सकती है।
इसमें माँ के किडनी, लिवर और दिल सभी प्रभावित होते हैं।
अगर आपको नीचे दिए लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें —
समस्या | प्रभाव |
High BP | दिल पर ज़्यादा दबाव, हार्ट फेलियर का खतरा |
High Sugar | ब्लड वेसल्स डैमेज, हार्ट अटैक का खतरा |
दोनों एक साथ | प्रीक्लेम्पसिया, किडनी और हार्ट पर असर |
Q1. क्या गर्भावस्था में हाई बीपी और शुगर बाद में भी रहती है?
👉 कभी-कभी डिलीवरी के बाद ये अपने आप कंट्रोल हो जाती है, लेकिन नियमित जांच जरूरी है।
Q2. क्या ये स्थिति बच्चे पर असर डालती है?
👉 हाँ, इससे बच्चे का वजन बढ़ सकता है या जन्म के समय शुगर लेवल कम हो सकता है।
Q3. क्या दवाइयों से कंट्रोल किया जा सकता है?
👉 हाँ, डॉक्टर की सलाह से सुरक्षित दवाइयाँ ली जा सकती हैं जो माँ और बच्चे दोनों के लिए सेफ हैं।
Q4. क्या योग और ध्यान मदद करते हैं?
👉 बिल्कुल, ये तनाव घटाते हैं और बीपी-सुगर दोनों को कंट्रोल में रखते हैं।
Q5. क्या अगली प्रेग्नेंसी में भी ऐसा हो सकता है?
👉 हाँ, अगर पहले ऐसा हो चुका है तो अगली बार रिस्क थोड़ा बढ़ जाता है, इसलिए शुरुआत से ही सावधानी रखें।
प्रेग्नेंसी में हाई शुगर और हाई बीपी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
ये दोनों ही स्थितियाँ हार्ट डिजीज़ का खतरा कई गुना बढ़ा देती हैं।
अगर आप अपनी डाइट, एक्सरसाइज़, और मेडिकल चेकअप्स को नियमित रखती हैं, तो आप और आपका बच्चा दोनों स्वस्थ रह सकते हैं।
❤️ याद रखें —
स्वस्थ दिल ही स्वस्थ माँ की निशानी है।
अपनी केयर करें, ताकि आपके बच्चे का दिल भी मजबूत धड़के 💕
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