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Miscarriage Meaning in Hindi- गर्भपात के कारण, लक्षण और उपचार

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Dr. Pujil Gulati, IVF Specialist with over 9 years of experience in Assisted Reproductive Techniques BabyBloom IVF Gurgaon

गर्भधारण की खबर मिलते ही एक दंपती खुशी से झूम उठता है और पूरा परिवार उत्साहित हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाएं शारीरिक समस्याओं के कारण अचानक गर्भपात का शिकार हो जाती हैं। इस गर्भपात से महिला शारीरिक से ज्यादा मानसिक रूप से टूट जाती है। ऐसे में, महिला को पुनः गर्भधारण के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ होने की आवश्यकता होती है, ताकि वह इस दुख से उबर सके और धीरे-धीरे आगे बढ़ सके। Miscarriage meaning in Hindi  

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गर्भपात क्या होता है? (Miscarriage Meaning in Hindi)

गर्भपात (Miscarriage) वह स्थिति है, जिसमें गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले ही गर्भ का समाप्त होना हो जाता है। इसे हिंदी में गर्भपात या स्वत: गर्भपात कहा जाता है। यह महिला के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बहुत ही कठिन और दर्दनाक अनुभव हो सकता है। गर्भपात के बाद महिला को शारीरिक रूप से आराम की आवश्यकता होती है, साथ ही मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी जरूरी होता है, ताकि वह इस दुखद घटना से उबर सके।  

गर्भपात के कारण (Causes of Miscarriage)

गर्भपात के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो महिला के शारीरिक स्वास्थ्य, जीवनशैली और अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:

  1. क्रोमोसोमल असामान्यताएं (Chromosomal Abnormalities): भ्रूण में अनुवांशिक विकार होने पर गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।
  2. हॉर्मोनल असंतुलन: प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन की कमी से गर्भपात हो सकता है।
  3. संक्रमण (Infections): शरीर में बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण होने पर गर्भपात हो सकता है।
  4. माँ की स्वास्थ्य समस्याएं: मधुमेह, थायरॉयड, और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ गर्भपात का कारण बन सकती हैं।
  5. जीवनशैली के कारण: धूम्रपान, शराब का सेवन, या अत्यधिक तनाव गर्भपात का खतरा बढ़ाते हैं।
  6. गर्भाशय या गर्भनाल की समस्या: गर्भाशय का असामान्य आकार, फाइब्रॉइड, या गर्भनाल की समस्या भी गर्भपात का कारण बन सकती है।

गर्भपात के विशेष कारण (Special causes of Miscarriage)

  1. क्रोमोजोम असामान्यता: क्रोमोजोम असामान्यता के कारण गर्भपात हो सकता है। जब अंडे या शुक्राणु में कोई त्रुटि होती है, तो भ्रूण में असामान्य क्रोमोजोम हो सकता है, जिससे गर्भपात होता है।
  2. गर्भाशय असामान्यताएं और असमर्थ सर्विक्स: यदि गर्भाशय का आकार असामान्य हो या गर्भाशय का विभाजन ठीक से न हो, तो भ्रूण को गर्भाशय में सही से प्रत्यारोपित होने में समस्या हो सकती है, जिससे गर्भपात हो सकता है।
  3. इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर: इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर, जैसे अस्थमा, एलर्जी, और ऑटोइनफ्लेमेटरी सिंड्रोम, के कारण भी गर्भपात हो सकता है, क्योंकि यह भ्रूण के प्रत्यारोपण में रुकावट डाल सकता है।
  4. पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम): पीसीओएस (PCOS) से प्रभावित महिलाओं में गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है, क्योंकि इस स्थिति में हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडे सही से विकसित नहीं हो पाते।

बार-बार गर्भपात के कारण (Causes of Repeated Miscarriage)

  1. अधिक उम्र में गर्भधारण: 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भपात का जोखिम अधिक होता है। अधिक उम्र में गर्भधारण करने की कोशिश करने पर क्रोमोजोमल (Chromosomal)  समस्याएं और अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।
  2. ज्यादा भागदौड़ या यात्रा करना: गर्भावस्था के दौरान ज्यादा शारीरिक मेहनत या लंबी यात्राएं करने से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है, विशेषकर पहले और तीसरी तिमाही में।
  3. पेट पर दबाव या चोट लगना: गर्भावस्था के दौरान पेट पर किसी प्रकार का दबाव या चोट लगने से गर्भपात हो सकता है।
  4. योनि में संक्रमण: बार-बार योनि में संक्रमण होने से गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है, क्योंकि यह गर्भाशय (Uterus) तक संक्रमण को पहुंचा सकता है और भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है।

गर्भपात के प्रकार (Types of Miscarriage in Hindi)

गर्भपात के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिन्हें डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर निदान कर सकते हैं:

  1. पूर्ण गर्भपात (Complete Miscarriage): इस स्थिति में आपके शरीर से गर्भावस्था के सभी ऊतक (जैसे भ्रूण और प्लेसेंटा) बाहर निकल जाते हैं। गर्भपात के बाद गर्भाशय पूरी तरह से खाली हो जाता है।
  2. अधूरा गर्भपात (Incomplete Miscarriage): इस प्रकार के गर्भपात में कुछ ऊतक या अपरा सामग्री शरीर से बाहर निकल आती है, लेकिन कुछ अभी भी गर्भाशय में मौजूद होते हैं। इस स्थिति में अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
  3. छूटा हुआ गर्भपात (Missed Miscarriage): इस स्थिति में भ्रूण की मृत्यु हो जाती है, लेकिन महिला को इसका एहसास नहीं होता और भ्रूण शरीर में ही मृत रहता है। इसे “अज्ञात गर्भपात” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें भ्रूण का प्रसव नहीं होता।
  4. गर्भपात का ख़तरा (Threatened Miscarriage): इस स्थिति में रक्तस्राव और ऐंठन के लक्षण होते हैं, जो गर्भपात के संभावित खतरे को सूचित करते हैं। यदि सही समय पर उपचार मिल जाए, तो गर्भावस्था को बचाया जा सकता है।
  5. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Miscarriage): इस प्रकार के गर्भपात में रक्तस्राव, ऐंठन और गर्भाशय ग्रीवा का फैलाव देखा जाता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि गर्भपात अपरिहार्य है और इसे रोका नहीं जा सकता।
  6. सेप्टिक गर्भपात (Septic Miscarriage): इस प्रकार के गर्भपात में गर्भाशय में संक्रमण हो जाता है, जो गंभीर स्थिति हो सकती है। इसका उपचार तुरंत करना जरूरी होता है, ताकि संक्रमण से शरीर में कोई और समस्या न हो।

इन प्रकारों को समझना और डॉक्टर से सही समय पर परामर्श लेना गर्भावस्था के दौरान महिला की सेहत के लिए महत्वपूर्ण होता है।

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गर्भपात के लक्षण (Symptoms of a miscarriage)

गर्भपात के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. योनि से रक्तस्राव (Vaginal bleeding): गर्भपात के दौरान हल्के से लेकर भारी रक्तस्राव हो सकता है। कभी-कभी रक्तस्राव में थक्के भी शामिल हो सकते हैं।
  2. पेट या पीठ में दर्द (Abdominal or back pain): गर्भपात के दौरान तेज ऐंठन या दर्द महसूस हो सकता है, जो पेट और पीठ में हो सकता है।
  3. गर्भावस्था के लक्षणों में कमी (Reduction in pregnancy symptoms): गर्भावस्था के सामान्य लक्षण, जैसे मतली, स्तनों में संवेदनशीलता आदि, अचानक कम हो सकते हैं या गायब हो सकते हैं।
  4. थक्के का निकलना (Discharge of clots): योनि से ऊतक या थक्के बाहर निकल सकते हैं, जो गर्भपात का संकेत हो सकते हैं।

इन लक्षणों को गंभीरता से लेना आवश्यक है और यदि इनमें से कोई लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

गर्भपात का उपचार (Treatment of Miscarriage)

गर्भपात के उपचार का तरीका उसकी स्थिति और कारण पर निर्भर करता है।

  1. प्राकृतिक प्रक्रिया: कुछ मामलों में गर्भपात अपने आप हो जाता है और किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती।
  2. दवाओं का उपयोग: डॉक्टर कुछ दवाओं की मदद से गर्भाशय को साफ करने में मदद करते हैं।
  3. सर्जरी (Dilation and Curettage – D&C): गर्भाशय से भ्रूण के अवशेष हटाने के लिए यह प्रक्रिया की जाती है।
  4. भावनात्मक समर्थन: गर्भपात के बाद महिला को मानसिक और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है।

गर्भपात की रोकथाम के उपाय (Measures to Prevent Miscarriage)

  1. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: एक संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद गर्भावस्था को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। तनाव से बचने के लिए योग, ध्यान या अन्य आरामदायक गतिविधियों को अपनाना फायदेमंद हो सकता है।
  2. डॉक्टर की सलाह लें: गर्भधारण से पहले और दौरान नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लें। इससे गर्भावस्था से संबंधित संभावित समस्याओं का समय रहते पता चल सकता है और उचित उपचार किया जा सकता है।
  3. संक्रमण से बचाव: साफ-सफाई का ध्यान रखें और व्यक्तिगत स्वच्छता को प्राथमिकता दें। संक्रमण से बचने के लिए उचित उपाय अपनाएं, जैसे योनि संक्रमण से बचने के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा और सही सफाई विधि।
  4. धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और शराब गर्भधारण और गर्भावस्था के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ये भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

इन उपायों को अपनाकर गर्भपात के खतरे को कम किया जा सकता है और स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित की जा सकती है।

निष्कर्ष: Conclusion

गर्भपात एक सामान्य लेकिन संवेदनशील समस्या है। यह महिला और उसके परिवार के लिए कठिन समय हो सकता है। उचित देखभाल, समय पर उपचार, और भावनात्मक समर्थन से इस स्थिति से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है। अगर आप या आपके किसी जानने वाले को गर्भपात का अनुभव हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। या फिर हमारे सेंटर Babybloom IVF गुडगाँव/ रोहतक से संपर्क कर सकते हैं|